Pant can go from stupid to superb, but Bumrah is India’s only weapon

Pant can go from stupid to superb, but Bumrah is India’s only weapon

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What a Test match. What a win.

The iconic Melbourne Cricket Ground witnessed a Test match for the ages.

Australia players celebrate the match-sealing wicket at the MCG.Credit: Justin McManus

The pendulum kept swinging from one side to the other dramatically, especially the last three days.

When it looked like one team was cruising, something would happen that would tilt the game the other way.

It all started with a 19-year-old debutant who went running on to the crease to take the first ball and ran straight into the hearts of cricket lovers.

The chutzpah he showed brought about head shakes from all the grey-haired men in the various commentary boxes who had donned the baggy green with much doggedness in the past.

Sam Konstas showed the hype is justified.Credit: Getty Images

Those head shakes were quickly replaced by broad smiles as the scoops, reverse scoops, lofted shots, running down the pitch to the best fast bowler in the world threw the great man off his length.

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Sam Konstas showed what the future of opening the batting in Test cricket is going to be.

Of course Jasprit Bumrah, being the wonderful thinker he is, quickly recalibrated in the second innings to castle the young man so the Sydney Test will also show us what the punches and counter response will be.

If that’s not exciting enough, the Sydney Test will be one where India would want to come all guns blazing at the Aussies to win and draw the series.

The problem is that Bumrah is the only weapon that the Indians have and the gunpowder is running out too. This is simply not enough unless the much acclaimed batters put loads of runs on the board.

India’s batting has been the worry throughout the series and except for Jaiswal and Rahul at the top and Nitish Kumar Reddy down the order, the others have just been guest artistes at the crease.

The Australians have fewer worries with both openers getting half-centuries, Labuschagne getting 70 plus in both innings and Steve Smith scoring an imperious century. The rare failure of Travis Head against India didn’t matter much.

Head, of course, made up with the ball by luring Rishabh Pant to the shot that opened the doors for the Aussie win on the last day. Another half hour or so between Jaiswal and Pant, who had shown great restraint until tea, and the game would have been drawn.

The Aussies were using Head to quicken up their overrate and also get to the second new ball while giving a bit of a breather to the magnificent trio of skipper Cummins, Starc and Boland.

Pant is the man who the Australians fear the most because of his ability to take the game away with his stroke play.

On the last trip he took the attack to the Aussies in a most calculated way and was the main architect of the famous win at the Gabba that sealed the series for India.

This time around more than calculated it is premeditated that has been his theme song and which has got him out. It’s as if he has decided that the only way to score this time is to attempt the ridiculously audacious. Sure when it comes off it brings smiles like Konstas’ reverse scoops did.

The difference is that Konstas making his debut had nothing to lose, but Pant had a responsibility to his team to play the situation.

Playing for India is serious business with the millions who wake up early in the morning to see their favourite players and so bringing a festive air with chirps behind the stumps can lighten the pressure, but batting as if in a festival match is not the way to go about it.

I have been fortunate to see Pant play some fabulous orthodox century innings for India in England, South Africa and here in Australia last time.

He can do it again and if he does it in Sydney I will be standing up and screaming ‘superb, superb, superb’.

पंत को अपने खेल और अपनी सोच कोः बदलना होगाः, लेकिन बुमराह ही भारत का एकमात्र हथियार हैं

क्या टेस्ट मैच था. क्या जीत थी. मेलबर्न का प्रतिष्ठित क्रिकेट ग्राउंड युगों-युगों तक इस बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच का गवाह रहेगा.

दोनों टीमों के बीच जमकर मुक़ाबला हुआ, खासकर टेस्ट के पहले तीन दिनो में, और जब भी एक टीम का पलड़ा भारी रहा तभी खेल का रुख भी बदल गया.

इस पुरे सिलसिले की शुरूआत एक 19 वर्षीय नवोदित खिलाड़ी से हुआ, वह पहली गेंद लेने के लिए क्रीज पर दौड़ के आया और सीधे क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में उतर गया.

इस महारथी का साहस देखकर तो कमेंटरी बॉक्स में बैठे क्रिकेट की दुनिया के पुराने योद्धा भी अचंभित रह गऐ. इस अचम्भे को प्रशंसा में बदलने में ज्यादा समय नहीं लगा जब इस खिलाडी ने स्कूप, रिवर्स स्कूप,और ऊंचे शोटो की बौछार से दुनिया के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज का स्वागत किया.

सैम कोन्स्टास ने साफ़ दिखाया है कि टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग बल्लेबाजी का भविष्य क्या है.

जसप्रीत बुमराह भी पहली पारी के हमले के बावजूद अपना संतुलन नहीं खोया और दूसरी पारी में कोन्स्टास पर भारी परे. सिडनी टेस्ट में इन दोनों का मुक़ाबला बड़ा दिलचस्प होगा.

टीम इंडिया को यह टेस्ट मैच हर हाल में जीतना है, और समस्या यह है कि उसके पास बुमराह ही एकमात्र हथियार है. जीत के लिए भारत के बहुप्रशंसित बल्लेबाज़ो को ढेर सारे रन बनाने पड़ेंगे.

पूरी शृंखला में भारत की बल्लेबाजी चिंता का विषय रहा है. जैस्वाल, राहुल और नीतीश कुमार रेड्डी को छोड़कर बाकि भारतीय बल्लेबाज़ अभी तक क्रीज़ में अतिथि बन के रह गए है.

दोनों सलामी बल्लेबाजों के अर्धशतक, लाबुस्चगने की दोनों पारियों में 70 से अधिक रन और स्टीव स्मिथ के शानदार शतक के कारण ऑस्ट्रेलियाई टीम की चिंताएं अब कम हैं.

मेलबोर्न में ट्रैविस हेड की दुर्लभ विफलता के बावजूद ऑस्ट्रेलिया ने हार नहीं मानी. और, हेड ने पंत को उस शॉट के लिए ललचाकर गेंद से भरपाई की, जिसने आखिरी दिन ऑस्ट्रेलियाई टीम की जीत के दरवाजे खोल दिए।

जयसवाल और पंत, जिन्होंने चाय तक काफी संयम दिखाया था, अगर एक और आधा घंटा खेल लेते तो मैच ड्रा हो जाता.

ऑस्ट्रेलियाई टीम ट्राविस हेड के द्वारा अपनी ओवर गति को तेज़ करने में सफल रहे. इस तरह कप्तान कमिंस, स्टार्क और बोलैंड की शानदार तिकड़ी को दूसरी नई गेंद से बोलिंग करने से पहले थोड़ी राहत भी मिली.

पंत वह शख्स हैं जिससे आस्ट्रेलियाई टीम सबसे ज्यादा डरते हैं क्योंकि वह उनकी बल्लेबाज़ी से खेल को छीनने की क्षमता रखते है. पिछली टूर में उन्होंने बहुत सोच-समझकर ऑस्ट्रेलियाई टीम पर आक्रमण किया था और मुख्य रूप से गाबा में प्रसिद्ध जीत के सूत्रधार थे.

मगर इस टूर में पंत की बल्लेबाज़ी में वो बात नहीं रही. इस बार अनुमान से अधिक उनकी बल्लेबाज़ी पूर्वनिर्धारित लग रही है और इसी वजह से वोह अपना विकेट खो रहे है. ऐसा लगता है जैसे पंत ने तय कर लिया है कि उनके लिए स्कोर करने का यही एकमात्र तरीका उचित है.

इतनी जोखिम से भरी बल्लेबाज़ी का मज़ा कॉन्स्टास ने तो भरपूर उठाया मगर पंत को परिस्थिति को देख कर जिम्मेदारी से खेलना चाहिये था.

भारत के लिए खेलना एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. लाखों लोग अपने पसंदीदा खिलाड़ियों पर बड़ी आस लगाए बैढे रहते है और इसलिए पंत अपने स्टंप के पीछे की चहचहाहट से लोगो का काफी मनोरंजन करते है. लेकिन पंत को इसी अतिउत्साह को अपनी बल्लेबाजी से निकाल बाहर करना होगा.

मैं भाग्यशाली रहा हूं कि मुझे पिछली बार पंत को इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और यहां ऑस्ट्रेलिया में भारत के लिए कुछ शानदार शतकीय पारियां खेलते हुए देखने का मौका मिला. पंत सिडनी में अपना कमाल दिखा सकते है और अगर वोह यह कमाल कर दिखाए तो मैं सबसे पहले उनकी तारीफ़ करूंगा.

Translation by Supratim Adhikari

Sunil Gavaskar played 125 Tests for India and scored 10,122 runs. He is commentating on the Border-Gavaskar series for Channel Seven.

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